सद्गुरु बहुत से लोगों के लिए बहुत सारी भूमिकाओं में हैं – गुरु, रहस्यवादी, योगी, मित्र, ज्ञात (और अज्ञात) सभी विषयों पर सलाहकार, कवि, वास्तुशिल्पी... उनके बहुत से चेहरे, बहुत सारे आयाम हैं। मगर वह एक पिता और एक पति भी हैं। सद्गुरु बहुत से लोगों के लिए, बहुत अलग-अलग तरह से मायने रखते हैं – गुरु, दिव्यदर्शी, योगी, मित्र, बहुत से जाने-अनजाने विषयों के सलाहकार, कवि, आर्किटेक्ट...जाने कितने चेहरे, और कितने ही आयाम! परंतु वे एक पिता और पति भी हैं। आध्यात्मिक जागरण अनुभव के दो वर्ष बाद, उनकी भेंट अपनी पत्नी विजयकुमारी से हुई, जिसे स्नेह से विज्जी कह कर बुलाया जाता है। उनकी पहली भेंट, मैसूर में एक लंच के दौरान हुई, जहाँ वे एक अतिथि के रूप में गए थे। इसके बाद उनके बीच कुछ समय के लिए बहुत ही हार्दिक पत्रों का आदान-प्रदान हुआ। सन् 1984 की महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर, वे विवाह बंधन में बंध गए। सद्गुरु की योग कक्षाओं की दिनचर्या ज़ोरों पर थी और वे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए पूरे दक्षिण भारत के दौरों पर रहते। विज्जी एक बैंक मे...