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        ।।सिद्व स्थान श्री बाकडे हनुमान।।


 प्रिय मित्रों आज ये मेरे ब्लॉग पर पहला पोस्ट हैं। इसलिए कहते हैं न कि कोई नया कार्य प्रारम्भ करने से पहले अपने इष्ट देव को याद करना चाइये इसीलिये मैं अपना पहला ब्लॉग हनुमानजी के चरणों मैं समर्पित करता हु।
तो आइए आज मैं आपको बताता हूं बाकडे हनुमान सिद्ध क्षेत्र के बारे मे वैसे तो पूरे भारत मे हनुमानजी के कई मंदिर है आज मैं बात कर रहा हु शिवपुरी मध्यप्रदेश स्थित श्री बाकडे सरकार की ।

शिवपुरी से 11 km दूर बांकड़े रोड पर स्थित सिद्द क्षेत्र बांकड़े हनुमानजी का मंदिर.


विन्ध्याचल की सुरमा उपत्यकाओं मे अवस्थित धार्मिक श्रद्धा विस्वास और उपासना का केंद्र श्री बाँकडे हनुमान
मंदिर एक प्रसिद्व एवं प्राचीन सिद्व स्थान है ।
यहाँ धार्मिक श्रद्धालू प्रकृति प्रेमी देश के दूरस्थ स्थानों से आकर
धन्य हौते है ।
ऐसी मान्यता है की यहाँ मांग मनौती शीघ्र पूरी होती है।।


मंदिर दो समीपवर्ती श्रेत्र में प्राचीन नगर के अवशेष मिलते है जो वांकड़ा के चिराग ग्राम राजस्व अभिलेखों अंकित है ।


मंदिर कें जेर्नोधार में मिली मूर्तियों आदि कें आधार पर पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर की स्थापना का निर्धारण 11 वी शताब्दी किया गया है । मंदिर का शिल्प गर्भगृह, समामण्डप, सिंह द्वार के रूप में निर्मित था...

जो भगवनशेषो से स्पस्ट दृष्टि गोचर होता हैं ।


यहाँ की प्राचीन मूर्तियाँ गूजरी महल पुरात्व संग्रहालय ग्वालियर में 
सुरक्षित है जिन पर ग्राम कोटा से प्राप्त मूर्तियों दार्शाया गया है..


हर मंगलबार को यहाँ शिवपुरी व् आसपास से हजारो हज़ारो लोग पैदल नंगे पाँव चलकर आते है..

बाकडे हनुमान
कालान्तर में तत्कालीन ग्वालियर राज्य कें महाराज माधवराव सिंधिया ने मंदिर का जीर्णोधार कराया आवागमन कें लिए सड़क का निर्माण
कराया। 


माधो महाराज प्रत्येक मंगलबार को जव भी शिवपुरी निवास करते थें सवामन रोटी का भोग लगता था । 


पूजा में राज परिवार
के सभी सदस्य शामिल होते थे । 


माधव रास्ट्रीय उद्यान की तलहटी में घने वृक्षों की अरण्यका में भक्त जन निर्भय होकर सदियों से सिध्द
उपासना स्थली में निर्विघ्न विचरण करतै है।
पुरातत्य और श्रद्वा की अनूठी त्रीवेणी में अवगाहन कर धन्य हौते है।


मंदिर के बर्तमान स्वरुप कें लिए व्यवस्था पं० गिरराज दुतें कें विशेष प्रयासों तथा भक्तों दो सहयोग से संचालित ही रही है।


परिसर के सौदर्य विकास कें लिए योजनाबद्ध कार्य योजना से कार्यं हो रहा हैं 
अनियमित निमणि कार्यों पर मंदिर व्यवस्थापक द्वारा पूणति: रोक है । मंदिर जीणद्धिग्रर र्क लिए किसी प्रकार का चन्दा आदि नहीं लिया जाता।


बांकडे हनुमान मंदिर पर्यटक नगरी में सुबिघा सम्प्रन्न पर्यटक स्थल दो रुप में विकसित हो रहा है । जहॉ शिवपुरी में अन्य पर्यटक स्थल
अराजकता और असुरक्षा की चपेट में हैं बही बाँकडें हनुमान जी पर आकर हम दैहिक, दैविक, सौतिक कष्ठों से मुक्ति पाकर
प्रकृति कीं गोद में शांति अनुभव करते है।

श्रीमत् मागवत सप्ताह दो आयोजनों की आघिकता कें कारण वांकहँ हनुमान मंदिर को नेमिवारण्य कहा जाता है यहाँ एक साथ तीन
तीन भागवत आयोजन तक हो जाते है । मनोंती माँगने और मनोकामनाएँ पूरी होने पर सत्यनारयान वृत कथा कराने का बांकड़े पर एक विशेष महत्ब है । 


बर्ष भर यहॉ घार्मिंक अनुष्ठान, भण्डारा, गोष्ठि, विदाई समारोह और मीज कें कार्यक्रम अनवरत चलते रहते है ।
श्रदालू धर्म
प्रेमी, प्राकृति प्रेमी, पर्यटक. अतुष्ठानकतां, अध्येता और आमोद विहारी  कें सानिध्य में अपूर्व सुख शांति प्राप्त करते है।
गीता ग्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित कल्यत्या कें हनुमान अंक में श्री वांकम्हें हनुमान मंदिर का उल्लेख मारत कें प्राचीन हिन्दू मंदिरो में
प्रमुखता से किया गया है।


ग्राम वांकहँ राजस्व ग्राम कें रूप में वर्णित यह स्थल पूर्व में वडी नगरी कें रूप में अस्वाद था । मंदिर कें पीछे पहाडी पर विस्तृत मग्न
भवनावशेप, तालाब तथा मार्गों की सरचनांऐ, निट्रटी कें बर्तनों कें टुकडे आदि सर्बत्र विखरे हुये है । 
इस खाउसारी इस प्राचीन नगर का
प्रमुख उद्योग था। 
प्राचीन नहर संरचनायेँ व पत्थर कें कौल्लू व वावडी इसकी पुष्टि करतें है।


प्रस्था प्रतिष्ठा से आज पर्यन्त पूजा अर्चना की निरन्तरता श्री बाकड़े' हनुमान सिध्द क्षेत्र को अन्य प्राचीन मंदिरो से भिन्न विशिष्ट बनाती है
तो मित्रों ये है इस मंदिर की विषताये आप कभी समय निकाल कर यहाँ आये और हनुमानजी एवं इस क्षेत्र के दर्शन का लाभ ले।

आपका कपिल
धन्यवाद।





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