मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कर्मचारियों की आयु सीमा बढ़ाने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद शनिवार को सेवानिवृत्त हो रहे कई कर्मचारी दिनभर यह पता करने में जुटे रहे कि आयु सीमा बढ़ाने का लाभ उन्हें मिल रहा है या नहीं। शाम पांच बजे तक अध्यादेश जारी नहीं होने पर विंध्याचल भवन, सतपुड़ा भवन, पुलिस मुख्यालय सहित कई जगह कर्मचारियों को समारोहपूर्वक विदाई दे दी गई। हालांकि शाम छह बजे के बाद इस संबंध में अध्यादेश जारी कर दिया गया।
रिटायर हो रहे कर्मचारियों ने दिखाई नईदुनिया की प्रति
नईदुनिया ने पहले ही बता दिया था कि 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों को भी आयु सीमा बढ़ने का फायदा मिलेगा। शनिवार को उज्जैन के डीएफओ कार्यालय में रिटायर हो रहे तीन कर्मचारी नईदुनिया की प्रति लेकर पहुंचे और डीएफओ से कहा कि तत्काल प्रभाव से आदेश लागू हो गया है। इस पर डीएफओ ने वन मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा, लेकिन वन मुख्यालय इसका समाधान नहीं दे सका। इसके बाद डीएफओ ने अपर मुख्य सचिव दीपक खांडेकर से एक ईमेल के जरिए मार्गदर्शन मांगा। खांडेकर ने डीएफओ से कहा कि सेवानिवृत्ति की तैयारी पूरी रखी जाए, शाम तक अध्यादेश जारी नहीं होगा तो कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दे दी जाए।
दो साल तक नहीं होगा कोई विदाई समारोह
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को छोड़कर सरकारी कार्यालयों में अब दो साल तक कोई विदाई समारोह नहीं दिखेगा। जो अधिकारी-कर्मचारी रिटायर होने वाले थे, वे दो साल तक रिटायर नहीं होंगे।
1998 में 58 से 60 हुई थी रिटायरमेंट की उम्र
राज्य सरकार ने इससे पहले सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 1998 में बढ़ाई थी। तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने आयु सीमा 58 से बढ़ाकर 60 साल की थी।
राज्य पर हर साल बढ़ा डेढ़ हजार करोड़ का बोझ
सरकार के इस फैसले से राज्य सरकार पर हर साल लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ गया है। अगले दो साल में सरकार को करीब तीन हजार करोड़ रुपए उन कर्मचारियों को देना होगा, जो रिटायर हो सकते थे। यदि सेवानिवृत्ति आयु सीमा बढ़ाने की बजाय सरकार नई भर्ती करती तो दो साल में इसका एक चौथाई यानी करीब 750 करोड़ रुपए का ही बोझ आता।
ऐसे समझें पूरा गणित
- 4.5 लाख नियमित अधिकारी-कर्मचारी मप्र में
- 25 हजार करोड़ रुपए का हर साल वेतन बांटती है सरकार
- 5 प्रतिशत कर्मचारी हर साल होते हैं सेवानिवृत्त
- 22,500 कर्मचारी रिटायर होते हैं हर साल
- 375 करोड़ रुपए सालाना वेतन पर खर्च होते यदि नए कर्मचारियों की नियुक्ति होती ।
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