यहां औरतों को बुढ़ापा नहीं आता, खूबसूरती इतनी मानो परियां धरती पर आई हो
जी हां हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी जगह के बारे में यह जगह जन्नत से भी कम नहीं है और यहां की औरतें कभी बूढ़ी नहीं होती 60 साल में भी बन सकती हैं मां,
यहाँ के पानी की तासीर ऐसी है कि यहां औरतें 65 साल की उम्र में भी गर्भ धारण करती हैं और बीमार नहीं होती दुनिया की एक जगह ऐसी है जहां के लोग कभी बूढ़े नहीं देखते यहां की लड़कियां और महिलाएं इतनी खूबसूरत होती है कि उन्हें देखकर लगता है । मानो पारियां धरती पर आई हो हर कोई चाहता है कि बुढ़ापा कभी नहीं आए मगर बढ़ती उम्र का असर तो हर किसी को आता ही है|
यहां के पानी की तासीर ऐसी है कि यहां औरतें 65 साल की उम्र में गर्भ धारण करती हैं। इस उम्र में मां बनने से कोई तकलीफ नहीं होती है यह जगह हुंजा घाटी जो पाक अधिकृत कश्मीर में आती ह। गिलगित बाल्टिस्तान के पहाड़ों में स्थित हुंजा घाटी में पाई जाती है ।
हुंजा भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा के पास पड़ता है
इस जगह को युवाओं को युवाओ का नखलिस्तान भी कहा जाता है । हुंजा घाटी के लोग बिना किसी बीमारी के औसतन 110 से लेकर 120 साल तक जीते हैं इस प्रजाति के लोगों की संख्या तकरीबन 87000 के पार है इनकी खूबसूरती का राज इनकी जीवनशैली है ।
दिल की बीमारी मोटापा ब्लड प्रेशर कैंसर जैसी दूसरी बीमारियां जहां दुनियाभर में फैली हुई है । वही हुंजा जनजाति के लोगों ने शायद उसका नाम तक नहीं सुना है। इन के स्वस्थ सेहत का राज इनका खानपान है यहां के लोग पहाड़ों की साफ हवा और पानी में अपना जीवन व्यतीत करते हैं यह लोग काफी पैदल चलते हैं कुछ महीने तक केवल खुबानी खाते हैं
” ख़ुबानी के पेड़ का कद छोटा होता है – लगभग 8-12 मीटर तक। उसके तने की मोटाई क़रीब 40 सेंटीमीटर होती है। ऊपर से पेड़ की टहनियां और पत्ते घने फैले हुए होते है। पत्ते का आकार 5-9 सेमी लम्बा, 4-8 सेमी चौड़ा और अण्डाकार होता है। फूल पाँच पंखुड़ियों वाले, सफ़ेद या हलके गुलाबी रंग के होते हैं और हाथ की ऊँगली से थोड़े छोटे होते हैं। यह फूल या तो अकेले या दो के जोड़ों में खिलते हैं।
ख़ुबानी का फल एक छोटे आड़ू के बराबर होता है। इसका रंग आम तौर पर पीले से लेकर नारंगी होता है लेकिन जिस तरफ सूरज पड़ता हो उस तरफ ज़रा लाल रंग भी पकड़ लेता है। वैसे तो ख़ुबानी के बहरी छिलका काफी मुलायम होता है, लेकिन उस पर कभी-कभी बहुत महीन बाल भी हो सकते हैं। ख़ुबानी का बीज फल के बीच में एक ख़ाकी या काली रंग की सख़्त गुठली में बंद होता है। यह गुठली छूने में ख़ुरदुरी होती है। “
यह लोग वही खाना खाते हैं जो ये उगाते हैं खुबानी के अलावा मेवे, सब्जियां और अनाज में जो बाजरा और कूटू ही इन लोगों का मुख्य आहार है इनमें फाइबर और प्रोटीन के साथ शरीर के लिए जरूरी सभी मिनरल्स होते हैं ।
यह लोग अखरोट का इस्तेमाल करते हैं। धूप में सुखाएं गए अखरोट में भी -17 कंपाउंड पाया जाता है’ जो शरीर के अंदर मौजूद एंटी कैंसर एजेंट को खत्म करता है
इस जनजाति के बारे में पहली बार डॉक्टर रॉबर्ट मैककैरिसन 6 ने पब्लिकेशन स्टडीज इन डेफिशियेंसी जिसमें लिखा था इसके बाद साल 1961 में जामा में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें उनके जीवन काल के बारे में बताया गया था
यहाँ के लोग शून्य के नीचे के तापमान में बर्फ के ठंडे पानी में नहाती कम खाना औऱ ज्यादा टहलना इन की जीवन शैली है दुनियाभर के डॉक्टर ने भी यह माना है कि इनकी जीवनशैली की लंबी आयु का राज है यह लोग सुबह जल्दी उठते हैं और बहुत पैदल चलते हैं इस पर शोध के बाद डॉ जेएम मैंने हुंजा लोग के लोगों के दीर्घायु होने का राज पता करने के लिए उंजा घाटी की यात्रा की उनके निष्कर्ष 1968 में आई किताब उंजा सीक्रेट्स ऑफ द वर्ल्ड हेल्थी एंड एंड ओल्ड लिविंग पीपल में प्रकाशित हुई थे।नहीं होती कोई बीमारी
नहीं होती कोई बीमारी
दिमागी तौर पर हुंजा प्रजाति के लोग बहुत ही ज्यादा मजबूत होते हैं और इनको कभी भी कैंसर या दूसरी बीमारी नहीं होती है। जहां एक तरफ इनकी औरतें 70 या 80 साल की उम्र में भी जवान और खूबसूरत नजर आती हैं, वहीं इस प्रजाति के पुरुष 90 साल तक की उम्र में पिता बन जाते हैं। हुंजा प्रजाति के लोग मांस का सेवन ना के बराबर करते हैं।
किसी विशेष उत्सव पर ही मांस का सेवन किया जाता है और यह लोग मांस के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े करके खाते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि ये सिकंदर की सेना के बंशज है।
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